चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान का गठन उ0प्र0 जल सम्भरण एंव सीवर व्यवस्था अधिनियम 1975 की धारा-43 के अन्तर्गत दिनांक 24अप्रैल,1999 को नेाटिफिकेशन संख्या-95/9-2-99-57(एस)/98 के द्वारा किया गया, इससे पूर्व चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान का अधिकारिता क्षेत्र झांसी डिवीजन जल संस्थान के अधिकार क्षेत्र मे था, तथा जल संस्थान के गठन के पश्चात् महाप्रबन्धक की प्रथक तैनाती के उपरान्त मई,2000 से यह क्रियाशील हुआ। बांदा जनपद के अधीन आने वाली समस्त पाइप पेयजल योजनाओं के रख-रखाव एंव राजस्व वसूली तथा नगरीय क्षेत्र मे अधिष्ठापित हैण्डपम्पों के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य है, जिले मे कुल 08 नगरीय पेयजल येाजनाओं के साथ-साथ 21ग्रामीण पेयजल येाजनाओं का रख-रखाव किया जाता है। जिले का अधिकाशं भाग पठारी/पहाड़ी है, भूमिगत जल की स्थिति सन्तोषप्रद नही है।
नगरीय पेयजल योजनायें।
चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान बांदा के अन्तर्गत बांदा जल संस्थान द्वारा 08 नगरीय पेयजल योजनायें है, जिनमे दो नगर पालिका परिषद तथा 06 नगर पचांयत है, जनपद बांदा का कुछ क्षेत्र पहाड़ी एंव पठारी है, जंहा पर भूमिगत जल की स्थिति सन्तोषप्रद नही है एंव कुछ भाग ही ऐसा है, जंहा पर नलकूप सफल है,। उक्त कथन का तात्पर्य, है, कि जनपद के अधिकाश्ंा क्षेत्रों मे भूमिगत जल की स्थिति सन्तोषप्रद नही है,। उक्त के अतिरिक्त नगरीय क्षेत्रों मे हैण्डपम्पों का अनुरक्षण भी जल संस्थान द्वारा किया जा रहा है, नगरीय क्षेत्रों के हैण्डपम्पों के खराब होने की सूचना प्राप्त होने के 48 घण्टे के अन्दर उसे ठीक किये जाने की व्यवस्था है,
ग्रामीण पेयजल योजनायेंः-
जल संस्थान बांदा द्वारा 21 ग्रामीण पेयजल येाजनाओं का अनुरक्षण किया जा रहा है, जलापूर्ति से वंचित ग्रामों के बन्द होने का कारण निम्नवत् है।
1. अधिकाशं पेयजल येाजनायें एक ही श्रोत लेकर निर्मित की गई थी, अन्तिम छोर के ग्रामों की दूरी श्रोत से 15-20 किमी0 अथवा अधिक होने के कारण अवाछंनीय तत्वों द्वारा तोड़-फोड़ आदि होने के कारण पेयजल नही पहुच पाता है।
2. ग्रामीण पेयजल योजनायें 90लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन की दर से 20 घण्टें पम्पिंग के आधार पर डिजाईन एंव निर्मित की गई है, जब कि ग्रामीण क्षेत्रों मे विगत वर्षो मे 08 घण्टे अथवा कम एंव वर्तमान मे विद्युत आपूर्ति की उपलब्धता औसत रूप से 8-12 घण्टे है।
3. ग्रामीण पाइप पेयजल येाजनाओं के समय-समय पर पुर्नगठन की कोई भी स्थाई व्यवस्था नही है, जबकि अधिकांश पेयजल योजनायें वर्ष 1970 से 1974 के मध्य निर्मित की गई है, अधिकांश योजनायें काफी वृहद है, तथा इन्ही पेयजल योजनाओं के अधिकाशं ग्राम बन्द है।
चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान चित्रकूट।
चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान का गठन उ0प्र0 जल सम्भरण एंव सीवर व्यवस्था अधिनियम 1975 की धारा-43 के अन्तर्गत दिनांक 24अप्रैल,1999 को नेाटिफिकेशन संख्या-95/9-2-99-57(एस)/98 के द्वारा किया गया, इससे पूर्व चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान का अधिकारिता क्षेत्र झांसी डिवीजन जल संस्थान के अधिकार क्षेत्र मे था, तथा जल संस्थान के गठन के पश्चात् महाप्रबन्धक की प्रथक तैनाती के उपरान्त मई,2000 से यह क्रियाशील हुआ। बांदा जनपद के अधीन आने वाली समस्त पाइप पेयजल योजनाओं के रख-रखाव एंव राजस्व वसूली तथा नगरीय क्षेत्र मे अधिष्ठापित हैण्डपम्पों के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य है, जिले मे कुल 08 नगरीय पेयजल येाजनाओं के साथ-साथ 21ग्रामीण पेयजल येाजनाओं का रख-रखाव किया जाता है। जिले का अधिकाशं भाग पठारी/पहाड़ी है, भूमिगत जल की स्थिति सन्तोषप्रद नही है।
नगरीय पेयजल योजनायें।
चित्रकूटधाम मण्डल जल संस्थान बांदा के अन्तर्गत बांदा जल संस्थान द्वारा 08 नगरीय पेयजल योजनायें है, जिनमे दो नगर पालिका परिषद तथा 06 नगर पचांयत है, जनपद बांदा का कुछ क्षेत्र पहाड़ी एंव पठारी है, जंहा पर भूमिगत जल की स्थिति सन्तोषप्रद नही है एंव कुछ भाग ही ऐसा है, जंहा पर नलकूप सफल है,। उक्त कथन का तात्पर्य, है, कि जनपद के अधिकाश्ंा क्षेत्रों मे भूमिगत जल की स्थिति सन्तोषप्रद नही है,। उक्त के अतिरिक्त नगरीय क्षेत्रों मे 1819 हैण्डपम्पों का अनुरक्षण भी जल संस्थान द्वारा किया जा रहा है, नगरीय क्षेत्रों के हैण्डपम्पों के खराब होने की सूचना प्राप्त होने के 48 घण्टे के अन्दर उसे ठीक किये जाने की व्यवस्था है, 1819 हैण्डपम्पों मे से 167 हैण्डपम्प रिबोर योग्य है, जिसकी सूची उ0प्र0 जलनिगम को प्रेषित की जा चुकी है।
ग्रामीण पेयजल योजनायेंः-
जल संस्थान बांदा द्वारा 21 ग्रामीण पेयजल येाजनाओं का अनुरक्षण किया जा रहा है, जलापूर्ति से वंचित ग्रामों के बन्द होने का कारण निम्नवत् है।
1. अधिकाशं पेयजल येाजनायें एक ही श्रोत लेकर निर्मित की गई थी, अन्तिम छोर के ग्रामों की दूरी श्रोत से 15-20 किमी0 अथवा अधिक होने के कारण अवाछंनीय तत्वों द्वारा तोड़-फोड़ आदि होने के कारण पेयजल नही पहुच पाता है।
2. ग्रामीण पेयजल योजनायें 90लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन की दर से 20 घण्टें पम्पिंग के आधार पर डिजाईन एंव निर्मित की गई है, जब कि ग्रामीण क्षेत्रों मे विगत वर्षो मे 08 घण्टे अथवा कम एंव वर्तमान मे विद्युत आपूर्ति की उपलब्धता औसत रूप से 8-12 घण्टे है।
3. ग्रामीण पाइप पेयजल येाजनाओं के समय-समय पर पुर्नगठन की कोई भी स्थाई व्यवस्था नही है, जबकि अधिकांश पेयजल योजनायें वर्ष 1970 से 1974 के मध्य निर्मित की गई है, अधिकांश योजनायें काफी वृहद है, तथा इन्ही पेयजल योजनाओं के अधिकाशं ग्राम बन्द है।